स्वामी विवेकानंद ने 1887 से अपनी महासमाधि 4 जुलाई 1902 तक – 15 साल के अल्प समय में समग्र विश्व का भ्रमण किया। इस समयकाल में उन्होंने 400 से अधिक व्याख्यान दिए, 46 से अधिक कविताएं, 100 किताबें और लेख, और 700 पत्र लिखे। वे अति लोकप्रिय एवं प्रसिद्ध थे। अमेरिकी, यूरोपीय और भारतीय समाचार पत्रों में उनके बारे में 1,400 से अधिक लेख प्रकाशित किए गए थे। उन्होंने विभिन्न पत्रकारों को 28 से अधिक इन्टरव्यू दिए थे। इसके अलावा, उनके मित्रों और शिष्यों ने उनके बीच की गई चर्चा-विचारों को बड़ी संख्या में लिखकर रखा था।
उन्होंने आध्यात्मिकता से लेकर भारतीय और पश्चिमी दर्शन, संस्कृति और सभ्यता, कला और इतिहास, महान पैगंबर और अवतार के जीवन और संदेश और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के बारे में सोचा था, लिखा था और चर्चा की थी। वे एक कुशल गायक और पखावज वादक थे। वे स्वादिष्ट बंगाली व्यंजन बना सकते थे। उन्होंने आध्यात्मिक साधना के उच्चतम सोपान निर्विकल्प समाधि की अनुभूति की थी । उन्होंने पवित्र संन्यासी जीवन व्यतित किया था।
स्वामी विवेकानंद के इस विपुल आध्यात्मिक और बौद्धिक रत्नभंडार को 9 खंडों में अद्वैत आश्रम द्वारा प्रकाशित किया गया है। हमारे सुविचारों की प्रमाणभूतता के लिए उनके साथ इस पुस्तक का सन्दर्भ दिया जाता है।