Description
जो आघात आपको लगे हैं, वे आपको उस परम पुरुष के निकट पहुँचने में सहायक हों, जो इस लोक और परलोक में एकमात्र प्रेम का पात्र है, जिससे आप यह अनुभव कर सकें कि परमात्मा ही भूत, वर्तमान तथा भविष्य की प्रत्येक वस्तु में विद्यमान है और प्रत्येक वस्तु उसमें स्थित है और उसीमें विलीन होती है। ॐ शान्तिः। सस्नेह आपका, विवेकानंद
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